Saturday, August 25, 2012
OM. DESHDROHI GADDAR V DUSHCHARITRA NEHRUDDIN KHANDAN WALI BAAT TO SAMAJH ME AATI HAI LEKIN ADARSH CHARITRA V ADARSH JIVAN JEENE WALE GANDHI BABA KO NEHRUDDIN KHANDAN SE JODKAR NEHRU/GANDHI BOLNA THIK NAHI LAGTA , YE GANDHI MAHATMA V UNKE ADARSHON KA APMAN HAI. DHURT LUTERE CONGRESSION NE YUG PURUSH BABA JAI GURU DEV JI MAHARAJ(MATHURA WALE) KO BHI CONGRESS VIRODHI MUHIM KE CHALTE 1975 ME EMERGENCY LAGAKE JAIL KE BHITAR KHUNKHAR APRADHIYON KI BHANT DANDA BEDI ME 23 MAHINE TAK RAKHA GAYA THA. UNKE UPAR MISA V DIR LAGAYA GAYA THA. UNKI CHARGESHEET ME POLICE SE LIKHVYA GAYA THA KI RAIL KI PATRI UKHDWAKAR RAIL ENGINE CHURAKAR BHAG RAHE THE. TO AGAR UN RASHASON NE S. ACHARYA BALKRISHN PE FERJI PASSPORT, HAWALA V PP SWAMI RAM DEV JI PE FERA KE TAHAT MUKADMA DARJ KIYA TO KOI BADI BAAT NAHI. IN PAPI CONGRESSION KA KOI DHARM IMAN NAHI. DUSHCHARITRATA TO INKA PURANA RECORD RAHA HAI. ANGREJON NE ANGREJI HUQUMAT KO LAMBE SAMAY TAK DESH ME KAYAM KARNE HETU CONG KI STHAPNA KI THI, VO TO BAAD ME CHALKE GOKHLE, GANDHI BABA, TILAK, RAJENDRA PdJI, PATELJI, NETAJI AADI VIBHUTIYAN JAB CONG ME AA GAYE TO KUCHH WAQT KE LIYE RASHTRAVADI PLATFORM BAN GAI THI. LEKIN US WAQT BHI NEHRUDDIN JAISE GADDARON KE CHALTE CONG KA AVERAGE RLOE ANTI NATIONAL THA, CONG(NEHRUDDIN V USKE GURGON) NE KRANTIKARION KO DHOKHE SE PAKDVANE V MARVANE KA KAAM KIYA, JISKE LIYE CONG KO HUM KRANTIVIR MAAF NAHI KAR SAKTE. CONG KA WAHI GANDA CHARITRA AJ BHI KAYAM HAI.-DR KRANTIVIR
Monday, August 6, 2012
ॐ. भाईजी! यदि आपलोग वास्तव में पूज्य बाबा राम देव जी के भारत स्वाभिमान के समर्पित और अनुशासित कार्यकर्ता हैं तो कृपया गाँधी बाबा/महात्मा जी के विरुद्ध अनुचित अमर्यादित भाषा का प्रयोग न करें. इससे आमजनमानस व् धार्मिक जनता की भावना आहत होती है और लोग भारत स्वाभिमान से जुड़ने के बजाये कटेंगे.ये बाबा राम देव जी के आदर्शो/ मर्यादाओं व् उनके मिशन के खिलाफ है. बाबा राम देव जी गाँधी बाबा को अपना आदर्श मानते हैं. बाबा ने "हिंद स्वराज" व् "मेरे सपनों का भारत" पढ़ा है. उन पुस्तकों की आम तौर पे चर्चा भी करते हैं. "स्वदेशी की विचार धारा" , "पतंजलि ग्रामोद्योग योजना" व् बाबा की लिखित पुस्तक "हमारे सपनों का भारत" गाँधी बाबा/ महात्मा से पूरी तरह से प्रेरित है. गाँधी बाबा का अपमान भारत स्वाभिमान की नीतियों सिद्धांतों का घोर विरोध है. हाँ जवाहर लाल नेहरु जरुर भारतीय इतिहास का सबसे बड़ा गद्दार , देशद्रोही था. भारत माँ के बंटवारे में जवाहर का सबसे बड़ा हाथ था.बहुत ही विश्वसनीय शोधकर्ताओं का मत है क़ि गाँधी बाबा समेत बहुत से राष्ट्रवादियों क़ी हत्या में जवाहर व् बाद क़ी हत्याओं में उनकी कथित बेटी इंदिरा प्रिदार्शिनी का हाथ बताया जाता है. यदि ऐसा नहीं था तो गाँधी बाबा व् शास्त्री जी जैसी महान विभूतियों क़ी लाश का पोस्ट मार्टम क्यों नहीं कराया गया? नेहरुद्दीन खानदान के गाँधी खानदान बनने /बनाने के पीछे भी बहुत बड़ा षड्यंत्रकारी ( देश के भोले भले आम आदमी को ठगने की) साजिशपूर्ण कहानी है. जवाहर ने १४ ऑगस्ट १९४७ को माउन्ट बेटन से दुर्भाग्यपूर्ण काली संधि (ट्रान्सफर ऑफ़ पॉवर) करके भारत क़ी आज़ादी पे ग्रहण लगा दिया. इस बात क़ी जानकारी गाँधी बाबा को हो गई थी इसलिए गाँधी बाबा दुखी होके नोवाखाली (अफ्रीका) चले गए थे. और बुलाने पे भी नहीं आ रहे थे . वे पार्टीशन व् काली संधि के विरुद्ध थे. सदस्यता अभियान चलाके ४करोड़ भारतीयों को कांग्रेस का मेम्बर बनाने वाले गाँधीबाबा ने जब देखा कि कांग्रेस उनके अनुशासन से बाहर हो गई है उसपे अंग्रेजी परस्त जवाहर एंड पार्टी ने नाजायज तरीके से कब्जा कर लिया है तो वे कांग्रेस को काफी पहेले भंग करने का सुझाव भी दे डाले थे. गाँधी बाबा क़ी हत्या के पीछे अनेक कारणों में ये भी एक महत्वपूर्ण कारण था. -- डॉ क्रांतिवीर
गाँधी बाबा, बाबा साहेब, पटेल जी, शास्त्री जी व्लोहिया जी की वे पोस्ट मार्टम क्यों नहीं कराये
ॐगाँधीबाबाकेदर्शन( विचार) व् जिस्म के हत्यारे कांग्रेसियों के आका / काका / काकी फ़र्जी गाँधी बनके गाँधी बाबा के नाम पे वोट मांग के देश पे हुकूमत / लूट करना चाहते हैं लेकिन बाबा के कारन अब वो दिन जल्द लड़ने वाले हैं , इसलिए वो परेशां होकर हल्ला मचा रहे हैं. यदि देशद्रोही कांग्रेसी गाँधी बाबा के हत्यारे नहीं हैं तो गाँधी बाबा, बाबा साहेब, पटेल जी, शास्त्री जी व् लोहिया जी की वे पोस्ट मार्टम क्यों नहीं कराये यदि कराये तो उस पोस्त्मर्तम रिपोर्ट को वे सार्वजनिक क्यों नहीं करते? देश की जनता अब जानना चाहती है? क़ि उन महपुरुषों क़ी हत्या के पीछे क्या साजिशे व् षड़यंत्र था? वास्तव में उनमे कौन २ लोग शामिल थे? अब सच्चाई से पर्दा हटाओ देशद्रोहियों नहीं तो पर्दा खुद बा खुद हटनेही वाला है - डॉ. क्रांतिवीर
ॐ. भाई बुद्ध पाल जी! यदि आपलोग वास्तव में पूज्य बाबा राम देव जी के भारत स्वाभिमान के समर्पित और अनुशासित कार्यकर्ता हैं तो कृपया गाँधी बाबा/महात्मा जी के विरुद्ध अनुचित अमर्यादित भाषा का प्रयोग न करें. इससे आमजनमानस व् धार्मिक जनता की भावना आहत होती है और लोग भारत स्वाभिमान से जुड़ने के बजाये कटेंगे.ये बाबा राम देव जी के आदर्शो/ मर्यादाओं व् उनके मिशन के खिलाफ है. बाबा राम देव जी गाँधी बाबा को अपना आदर्श मानते हैं. बाबा ने "हिंद स्वराज" व् "मेरे सपनों का भारत" पढ़ा है. उन पुस्तकों की आम तौर पे चर्चा भी करते हैं. "स्वदेशी की विचार धारा" , "पतंजलि ग्रामोद्योग योजना" व् बाबा की लिखित पुस्तक "हमारे सपनों का भारत" गाँधी बाबा/ महात्मा से पूरी तरह से प्रेरित है. गाँधी बाबा का अपमान भारत स्वाभिमान की नीतियों सिद्धांतों का घोर विरोध है. हाँ जवाहर लाल नेहरु जरुर भारतीय इतिहास का सबसे बड़ा गद्दार , देशद्रोही था. भारत माँ के बंटवारे में जवाहर का सबसे बड़ा हाथ था.बहुत ही विश्वसनीय शोधकर्ताओं का मत है क़ि गाँधी बाबा समेत बहुत से राष्ट्रवादियों क़ी हत्या में जवाहर व् बाद क़ी हत्याओं में उनकी कथित बेटी इंदिरा प्रिदार्शिनी का हाथ बताया जाता है. यदि ऐसा नहीं था तो गाँधी बाबा व् शास्त्री जी जैसी महान विभूतियों क़ी लाश का पोस्ट मार्टम क्यों नहीं कराया गया? नेहरुद्दीन खानदान के गाँधी खानदान बनने /बनाने के पीछे भी बहुत बड़ा षड्यंत्रकारी ( देश के भोले भले आम आदमी को ठगने की) साजिशपूर्ण कहानी है. जवाहर ने १४ ऑगस्ट १९४७ को माउन्ट बेटन से दुर्भाग्यपूर्ण काली संधि (ट्रान्सफर ऑफ़ पॉवर) करके भारत क़ी आज़ादी पे ग्रहण लगा दिया. इस बात क़ी जानकारी गाँधी बाबा को हो गई थी इसलिए गाँधी बाबा दुखी होके नोवाखाली (अफ्रीका) चले गए थे. और बुलाने पे भी नहीं आ रहे थे . वे पार्टीशन व् काली संधि के विरुद्ध थे. सदस्यता अभियान चलाके ४करोड़ भारतीयों को कांग्रेस का मेम्बर बनाने वाले गाँधीबाबा ने जब देखा कि कांग्रेस उनके अनुशासन से बाहर हो गई है उसपे अंग्रेजी परस्त जवाहर एंड पार्टी ने नाजायज तरीके से कब्जा कर लिया है तो वे कांग्रेस को काफी पहेले भंग करने का सुझाव भी दे डाले थे. गाँधी बाबा क़ी हत्या के पीछे अनेक कारणों में ये भी एक महत्वपूर्ण कारण था. -- डॉ क्रांतिवीर
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