आरक्षण बहुत sensitive के साथ ही एक ऐसा मुद्दा है क़ि इस्पे देशव्यापी लम्बी बहस क़ि जरुरत है. social जस्टिस व् आम लोगों दलितों पिछड़ों क़ी सत्ता/व्यवस्था में भागीदारी सुनिश्चित करने हेतु कोई न कोई रास्ता निकलने की जरुरत है. आरक्षण का प्राविधान करने वाले बाबा साहिब खुद भी आरक्षण के खिलाफ थे . ठाकुरों ब्राह्मणों, बनियों, कायस्थों के schools /colleges में सभी नियुक्तियां उनकी जातियों के लोगों क़ि होती रही हैं. judiciary व् revenue विभाग में में कायस्थ , रक्षा सेनाओं में राजपूत/ ठाकुर / क्षत्रिय जाति की नियुक्ति क्या ये अघोषित आरक्षण नहीं था? Rly reservation या अन्यत्र आरक्षण ख़त्म क्यों नहीं कर दिया जाता ? आदि आदि ये बहस के मुद्दे हैं! इस्पे बात कर लें.-- डॉ विक्रम देव "क्रांतिवीर" ९९१९८८३५३३
No comments:
Post a Comment